केजरीवाल, सिसोदिया से लेकर वर्मा तक…दिल्ली के चुनावी अखाड़े में दांव पर दिग्गजों की साख, समझिए इन ‘VIP’ सीटों का पूरा गुणा-गणित
दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिग्गज उम्मीदवार
Delhi Election 2025: दिल्ली के चुनावी रण में इस बार मुकाबला पहले से कहीं ज्यादा दिलचस्प होने वाला है. आज दिल्ली की सभी 70 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इस बार दिल्ली की सियासत में 70 विधानसभा सीटों के लिए कुल 699 उम्मीदवार मैदान में हैं. कुल मिलाकर 2696 मतदान केंद्रों पर 13766 मतदान बूथ बनाए गए हैं. ताकि लोग आसानी से अपने मतदान केंद्र तक पहुंच सकें, हर मतदान स्थल को रंग कोड के अनुसार व्यवस्थित किया गया है, जिससे एक वोटर को अपनी बूथ तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो.
याद रखें, इस बार का चुनाव कुछ खास है. दिल्ली की कुछ सीटें तो ऐसे हैं, जहां दिग्गज नेताओं का भविष्य दांव पर है. यहां पर आम आदमी पार्टी , भारतीय जनता पार्टी , और कांग्रेस तीनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल है. आइए इन हॉट सीटों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
आज थम जाएगा चुनाव प्रचार
दिल्ली में चुनाव प्रचार अभियान की समाप्ति आज शाम 5 बजे होने वाली है, और इससे पहले सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. पीएम मोदी के आरोपों पर आम आदमी पार्टी का पलटवार भी देखने को मिला. आप का कहना है कि भाजपा के पास न तो कोई विजन है, न ही ठोस एजेंडा. उनका पूरा चुनावी प्रचार केवल केजरीवाल पर हमले और उनके खिलाफ अपशब्दों पर आधारित है.
आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी हमलों पर प्रतिक्रिया दी है. आप का दावा है कि भाजपा शासित राज्यों में कहीं भी 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है, जबकि दिल्ली ने इसका शानदार मॉडल पेश किया है. इसके अलावा, उन्होंने बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़ों पर भी हमला बोला, जहां 45 सालों का उच्चतम स्तर देखा जा रहा है.
लेकिन केजरीवाल सिर्फ शब्दों तक ही सीमित नहीं रहे. उनके खिलाफ होने वाली हिंसात्मक घटनाओं पर भी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की. आप ने दावा किया कि भाजपा के लोग जानबूझकर चुनाव प्रचार को नुकसान पहुंचा रहे हैं, और इस बारे में चुनाव आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस बार सिर्फ पार्टी की ही नहीं, बल्कि नेताओं की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है. पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, आतिशी और भाजपा के नेता विजेंद्र गुप्ता, प्रवेश वर्मा जैसे बड़े नाम इस चुनाव में अपनी सीटों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कांग्रेस की ओर से भी संदीप दीक्षित और अलका लांबा जैसे नाम चुनावी मैदान में हैं, जो किसी भी पार्टी के लिए चुनौती बन सकते हैं.
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नई दिल्ली सीट – केजरीवाल vs प्रवेश वर्मा vs संदीप दीक्षित
नई दिल्ली सीट इस बार राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुकी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए यह सीट फंसी हुई है, क्योंकि उनके खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित. अब, इस सीट के वोटर्स की बात करें, तो यह वही इलाका है जहां बड़ी संख्या में केंद्रीय कर्मचारी रहते हैं, जिनके लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को लागू किया है. भाजपा ने इस मसले पर माहौल बनाया है, लेकिन केजरीवाल भी अपनी सरकार के ‘दिल्ली मॉडल’ को लेकर चुनावी प्रचार में दम दिखा रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के संदीप दीक्षित, शीला दीक्षित के बेटे होने के नाते, झुग्गी बस्तियों के वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं. तो इस सीट पर जमकर तू-तू, मैं-मैं हो रही है. हालांकि, मोदी सरकार ने बजट में मिडिल क्साल को टैक्स में राहत देकर भी मामले को और पेंचिदा बना दिया है. दरअसल, दिल्ली में मिडिल क्लास की आबादी में सबसे ज्यादा इसी सीट पर बसती है.
जंगपुरा सीट – सिसोदिया की प्रतिष्ठा की लड़ाई
अब तक मनीष सिसोदिया पटपड़गंज सीट से जीतते आए हैं. हालांकि, इस बार पार्टी ने उन्हें जंगपुरा से चुनावी समर में उतारा है. लेकिन उन्हें अब चुनौती दे रहे हैं भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह, जो पहले इस इलाके के विधायक रह चुके हैं. अब जंगपुरा के समीकरण में एक और ट्विस्ट है – कांग्रेस ने फरहाद सूरी को मैदान में उतारा है, जो मुस्लिम और पंजाबी दोनों समुदायों के बीच एक मजबूत पहचान रखते हैं. तो ये सीट इस बार त्रिकोणीय मुकाबले का रूप ले चुकी है, जहां सिसोदिया को मारवाह और सूरी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. इन सबके बीच, सिसोदिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, क्योंकि वो दिल्ली के शिक्षा मंत्री के तौर पर दिल्ली के स्कूलों में सुधार के लिए जाने जाते हैं. यह सीट न केवल उनके लिए, बल्कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
कालकाजी सीट – आतिशी की कठिन परीक्षा
मुख्यमंत्री आतिशी के लिए कालकाजी सीट एक मुश्किल परीक्षा बन चुकी है. भाजपा ने यहां पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया है, जिनकी स्थानीय राजनीति में गहरी जड़ें हैं. वहीं, कांग्रेस ने अलका लांबा को मैदान में उतारा है, जो महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही हैं और दिल्ली की राजनीति में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं. इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो चुका है, क्योंकि तीनों पार्टियां अपनी पूरी ताकत लगाकर प्रचार में जुटी दिखीं. भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने तीखे बयान दिए हैं, जबकि आतिशी अपने कामकाजी रिकॉर्ड को आधार बनाकर प्रचार कर रही हैं. कांग्रेस भी अपना प्रचार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. यह सीट वास्तव में इस बात का मापदंड बन सकती है कि दिल्ली की राजनीति में महिलाएं कितनी प्रभावी भूमिका निभा रही हैं, और कौन किसके मुकाबले कितनी मजबूती से खड़ा हो पाता है.
रोहिणी सीट – गुप्ता की चुनौती
बीजेपी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के लिए रोहिणी सीट पर इस बार एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है. यह सीट गुप्ता के लिए अपने राजनीतिक जीवन की अहम परीक्षा साबित हो सकती है, क्योंकि यहां भाजपा के साथ-साथ आप और कांग्रेस दोनों ही दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं. यह सीट राजनीति के दिग्गजों के बीच भिड़ंत का मैदान बन चुकी है, और गुप्ता को अपना परचम लहराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ रही है. गुप्ता के पक्ष में मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने भी प्रचार प्रसार किया है. इन सीटों पर बीजेपी के कई दिग्गजों ने भी प्रचार प्रसार किया है.
गांधीनगर सीट – लवली की प्रतिष्ठा का सवाल
बीजेपी के अरविंदर सिंह लवली को गांधीनगर सीट पर अपना प्रभाव बनाना है. यह सीट भाजपा के लिए अहम है, क्योंकि लवली ने पहले भी इस सीट से चुनाव लड़ा था और उसे जीतने में सफलता पाई थी. हालांकि, इस बार लवली को एक बड़ी चुनौती मिल रही है, क्योंकि उनके मुकाबले कांग्रेस और आप दोनों के प्रत्याशी इस सीट पर अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. लवली को अपने पुराने समर्थन को फिर से जुटाने की कोशिश करनी होगी, ताकि यह प्रतिष्ठा का सवाल बन जाए और उन्हें चुनाव में भारी जीत मिल सके. खास बात ये है कि लवली पहले कांग्रेस में थे.
बिजवासन सीट – कैलाश गहलोत की उम्मीदें
बिजवासन सीट इस बार पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत और इस क्षेत्र से विधायक रह चुके कर्नल देवेंद्र सहरावत के मैदान में उतरने से हॉट सीट बन गई है.
इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं. भाजपा के कैलाश गहलोत अपनी छवि के आधार पर वोट मांग रहे हैं, जबकि कांग्रेस के कर्नल देवेंद्र सहरावत पूर्व में विधायक रहते हुए किए गए कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं. वहीं, आप प्रत्याशी सुरेंद्र भारद्वाज अपनी पत्नी पूनम भारद्वाज द्वारा क्षेत्र में किए गए कार्यों का बखान जनता से कर रहे हैं. यह सीट चल रहे मुकदमों और इंटरनेट मीडिया पर चल रहे प्रत्याशियों के प्रचार के वीडियो के कारण भी चर्चा में है.
कांग्रेस और भाजपा का पलड़ा भारी?
भले ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन इस बार भाजपा और कांग्रेस भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं. भाजपा के प्रमुख चेहरे, जैसे विजेंद्र गुप्ता, प्रवेश वर्मा, और रमेश बिधूड़ी, सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में ज़बरदस्त प्रचार किया है. कांग्रेस भी संदीप दीक्षित और अलका लांबा के रूप में मजबूत चेहरे लेकर आई है.
कुल मिलाकर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार केवल पार्टी नहीं, बल्कि नेताओं की प्रतिष्ठा का भी सवाल है. भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही अपने बड़े नेताओं के साथ अपनी-अपनी जमीन बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. अब देखना यह है कि कौन सा दल दिल्ली के चुनावी मंच पर बाजी मारता है.