विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. AAP विधायक इस कदम को अपमानजनक मानते हुए विरोध कर रहे थे. विपक्षी नेता आतिशी ने कहा कि सीएम रेखा गुप्ता के दफ्तर से आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटाना संविधान निर्माता और शहीदों का अपमान है.
पहले, शीला दीक्षित के समय में ये फ्लोर कुछ अलग तरीके से काम करते थे, लेकिन केजरीवाल के आने के बाद इसमें बदलाव हुआ. खासकर मनीष सिसोदिया, जब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री बने, तो उनके पास 18 विभागों की जिम्मेदारी थी, और वे अकेले छठी मंजिल पर काम करने लगे.
रेखा गुप्ता के सामने दूसरा बड़ा वादा आयुष्मान भारत योजना को लागू करने का होगा. 2018 में शुरू हुई इस योजना को दिल्ली में लागू नहीं किया गया था, लेकिन अब रेखा गुप्ता की सरकार इस योजना को लागू करने का वादा करेगी.
महाकुंभ 2025 में नया इतिहास बना रहा है, जहां शुक्रवार को स्नान करने वालों का आंकड़ा 50 करोड़ को पार कर गया. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि हर दिन महाकुंभ में नया रिकॉर्ड बन रहा है, जो अपने आप में एक विश्व कीर्तिमान है. रामघाट, भरद्वाज घाट, और गंगेश्वर घाट पर सुबह-सुबह हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई.
आज से आठ साल पहले जो मुद्दा था, वह अब भी दिल्ली की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है. 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को झटका लगा है. पार्टी 62 सीटों से सीधे 22 सीटों पर आ गई है. वहीं कपिल मिश्रा करावल नगर सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव भी जीत चुके हैं.
27 साल बाद दिल्ली में सत्ता पाने के बाद बीजेपी इस बार बड़े फैसले लेने जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि यह बड़ा फैसला किसके पक्ष में जाएगा? क्या बीजेपी दिल्ली में जाट, पंजाबी, पूर्वांचल, पहाड़ी, या महिला को मौका देगी?
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 54.35% वोट मिले, AAP को 24.17% वोट मिले, और कांग्रेस को 18.91% वोट मिले थे. हालांकि, AAP और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग चुनावी मैदान में हैं.
साफ पानी, यानी वो मुद्दा जो जब उठता है तो दिल्लीवालों की आंखों में आंसू और गुस्सा दोनों आ जाते हैं. अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आपको ये मुद्दा कभी न कभी परेशान जरूर करता होगा. सीएसडीएस के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 में लगभग 3.8 प्रतिशत लोगों ने साफ पानी को चुनावी मुद्दा माना था.
बगावत का खतरा और पार्टी की तैयारी राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है कि जिन विधायकों के टिकट काटे गए हैं, उनके बगावत करने का खतरा भी हो सकता है. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने यह कदम सोची-समझी रणनीति के तहत उठाया है. टिकट कटने के बाद नेताओं की नाराजगी को जल्दी सुलझाने का एक मौका पार्टी को मिल जाएगा.
कुल मिलाकर, आम आदमी पार्टी के लिए यह एक और कड़ी चुनौती साबित हो सकती है. अरविंद केजरीवाल को अब अपने नेतृत्व की मजबूती को साबित करने का बड़ा मौका मिलेगा, खासकर जब उनके कई पुराने साथी पार्टी छोड़ चुके हैं और आरोपों की झड़ी लगा चुके हैं.