बगावत का खतरा और पार्टी की तैयारी राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है कि जिन विधायकों के टिकट काटे गए हैं, उनके बगावत करने का खतरा भी हो सकता है. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने यह कदम सोची-समझी रणनीति के तहत उठाया है. टिकट कटने के बाद नेताओं की नाराजगी को जल्दी सुलझाने का एक मौका पार्टी को मिल जाएगा.
कुल मिलाकर, आम आदमी पार्टी के लिए यह एक और कड़ी चुनौती साबित हो सकती है. अरविंद केजरीवाल को अब अपने नेतृत्व की मजबूती को साबित करने का बड़ा मौका मिलेगा, खासकर जब उनके कई पुराने साथी पार्टी छोड़ चुके हैं और आरोपों की झड़ी लगा चुके हैं.
दिल्ली सरकार में मंत्री और AAP नेत्री कैलाश गहलोत के इस्तीफे पर AAP नेता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, "चुनाव चल रहे हैं और भाजपा के गंदे षड्यंत्र चल रहे हैं, ED, CBI सक्रिय हो चुके हैं.
सचदेवा ने आरोप लगाया कि शीशमहल बंगले की चाबी सौंपने और वापस लेने में आम आदमी पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री के विशेष सचिव प्रवेश रंजन झा के बीच मिलीभगत थी.
MCD स्टैंडिंग कमेटी चुनाव पिछले डेढ़ साल से विवादों में है. 26 सितंबर को होने वाला चुनाव मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा पांच अक्टूबर तक टाल दिया गया था, जिसके बाद एलजी ने चुनाव को जल्द कराने का आदेश दिया. सिसोदिया ने इस आदेश की कड़ी आलोचना की थी, जिसके बाद चुनाव को टाल दिया गया था.
Manish Sisodiya: मनीष सिसोदिया ने रविवार को अपने बीते दिनों को याद किया और कहा कि दिल्ली शराब नीति 'घोटाले' में गिरफ्तारी के दौरान ईडी ने उनका बैंक खाता फ्रीज कर दिया था और इसके चलते उन्हें अपने बेटे की कॉलेज फीस के लिए 'भीख मांगने' को मजबूर होना पड़ा था.
Delhi Politics: शनिवार को साप्ताहिक जनता दरबार के पहले सेशन में केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सचदेवा के साथ मिलकर जनता दरबार लगाया थाा. उन्होंने कहा कि इस दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों से कई लोग अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर बीजेपी कार्यालय पहुंचे थे.
Arvind Kejriwal: सीएम अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा, "10 साल के बाद मैंने सीएम के पद से इस्तीफा दिया है. कुछ देर में मुख्यमंत्री आवास भी छोड़ दूंगा. आज दिल्ली में रहने के लिए मेरे पास घर भी नहीं है."
कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है, खासकर जब दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी अपनी नीतियों को लेकर नए फैसले लेने की तैयारी कर रही हैं.
अब जब आतिशी मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, तो सवाल यह उठता है कि क्या उनकी भूमिका सिर्फ एक नाममात्र की होगी? क्या वे केवल एक प्रतीक बनकर रह जाएंगी और असली निर्णय अरविंद केजरीवाल ही लेंगे?