क्या Bajrang Punia का करियर खत्म? NADA ने लगाया चार साल का बैन, जानें पूरा मामला
Bajrang Punia: ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया पर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने चार साल का बैन लगाया है. बैन का कारण डोप परीक्षण के लिए नमूना ना देना है. बजरंग ने नेशनल टीम के चयन ट्रायल के दौरान सैम्पल देने से इनकार कर दिया था. यह बैन 23 अप्रैल 2024 से प्रभावी होगा. बैन के बाद बजरंग न केवल कुश्ती में वापसी कर सकेंगे, बल्कि कोचिंग के लिए भी आवेदन नहीं कर पाएंगे.
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— Vistaar News (@VistaarNews) November 27, 2024
क्या है पूरा मामला
बजरंग पूनिया को 10 मार्च 2024 को डोप टेस्ट के लिए सैम्पल देने के लिए कहा गया था, जिसे बजरंग ने देने से इनकार कर दिया. इसके बाद अप्रैल में NADA ने उन्हें प्रतिबंधित कर दिया. बजरंग ने इस प्रतिबंध के खिलाफ अपील की, जिसके बाद मई में अनुशासनात्मक पैनल ने बैन को अस्थायी रूप से रद्द कर दिया था. लेकिन जून 2024 में NADA ने उन्हें फिर से नोटिस जारी किया, जिसके बाद सितंबर और अक्टूबर में सुनवाई हुई.
ADDP ने अपने आदेश में कहा कि बजरंग ने एंटी डोपिंग कोड के आर्टिकल 10.3.1 का उल्लंघन किया है. NADA ने यह भी दावा किया कि बजरंग ने जानबूझकर डोपिंग टेस्ट से बचने की कोशिश की और एंटी डोपिंग रूल 2021 के तहत अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया.
बजरंग ने लगाए साजिश के आरोप
बजरंग ने इस पूरे विवाद को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें निशाना बनाया गया. उन्होंने NADA पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि डोपिंग नियंत्रण प्रक्रिया में कई खामियां थीं. बजरंग ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी नमूना देने से इनकार नहीं किया, बल्कि केवल इस बात की सफाई मांगी थी कि उन्हें दिसंबर 2023 में एक्सपायर किट क्यों भेजी गई.
वहीं NADA ने बजरंग के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि डोप परीक्षण के लिए यूरिन का नमूना देने से उनका इनकार जानबूझकर किया गया. NADA ने यह भी कहा कि एथलीट ने अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा की.
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क्या यह बजरंग पूनिया के करियर का अंत है?
बजरंग पूनिया का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है. हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गांव से निकले बजरंग ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया. वह एशियाई चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप में भी कई पदक जीत चुके हैं. लेकिन यह प्रतिबंध उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. चार साल तक किसी भी प्रतिस्पर्धा या कोचिंग से दूर रहना उनके करियर के लिए घातक हो सकता है.