मिल्कीपुर सीट पर वोटों का एक जटिल गणित काम कर रहा है. ब्राह्मणों के पास करीब 75,000 वोट, यादवों के पास 55,000 वोट, पासी बिरादरी के पास 63,000 वोट, मुस्लिमों के पास 30,000 वोट, और ठाकुरों के पास 22,000 वोट हैं.
सौरभ भारद्वाज ने रिपोर्टर्स से कहा, "यह केवल गरीब गांववालों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है. मैं यहां रहता हूं, यहां मेरा वोट है, इसलिए यह बदमाशी की जा रही है. आप काम से जीतिए, ऐसी बदमाशी क्यों कर रहे हो?"
Maha Kumbh 2025: पीएम ने आस्था की डुबकी संगम नोज पर लगाई. जहां पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलान होता है. पीएम ने डुबकी से पहले भगवान सूर्य को प्रणाम किया.
इस चुनावी घमासान में कई चर्चित चेहरे हैं, जो अपनी शिक्षा और अनुभव के आधार पर चुनावी मैदान में हैं. तो, क्यों न हम एक नज़र डालें उन नेताओं की शिक्षा पर, जिन्होंने दिल्ली के इस चुनावी माहौल में अपनी धाक जमाई है.
मतदान के दौरान दस्तावेज की फोटोकॉपी नहीं, बल्कि ओरिजिनल डॉक्यूमेंट ही साथ लेकर जाएं. अगर किसी को मतदान प्रक्रिया को लेकर कोई भी परेशानी हो, तो पोलिंग स्टेशन पर तैनात कर्मचारी से मदद ली जा सकती है.
नई दिल्ली सीट इस बार राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुकी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए यह सीट फंसी हुई है, क्योंकि उनके खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित. अब, इस सीट के वोटर्स की बात करें, तो यह वही इलाका है जहां बड़ी संख्या में केंद्रीय कर्मचारी रहते हैं, जिनके लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को लागू किया है.
बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली के सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी, और पार्टी का लक्ष्य दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी यही सफलता दोहराने का है. बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण फैक्टर है.
पोस्ट में यह भी धमकी दी गई है कि अगर प्रेम ढिल्लों ने अपनी राह नहीं बदली, तो वह कहीं भी चले जाएं, उन्हें नहीं बख्शा जाएगा. पोस्ट में यह लिखा गया है, "तुम जहां भी जाओ, तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकेगा. कनाडा हो, ऑस्ट्रेलिया हो, तुम्हें हमारे खिलाफ जो कुछ भी किया है, उसका बदला लिया जाएगा."
क्या आप जानते हैं कि इस बार दिल्ली की विधानसभा चुनावी लड़ाई एक पुराने जोड़ीदार के बीच नहीं, बल्कि 'इंडिया' गठबंधन के खिलाफ चल रही है? ये गठबंधन पिछले लोकसभा चुनाव में साथ था, लेकिन इस बार उसकी 5 पार्टियां आपस में ही लड़ रही हैं.
फेसबुक ने केवल सोशल नेटवर्किंग के मायने नहीं बदले, बल्कि एक नई डिजिटल संस्कृति का निर्माण किया. अब हर किसी के पास एक डिजिटल आइडेंटिटी थी – प्रोफाइल, फोटो, पोस्ट, और अपडेट्स. फेसबुक के एक क्लिक से लोग दुनियाभर में पहुंचने लगे थे.