साफ पानी, यानी वो मुद्दा जो जब उठता है तो दिल्लीवालों की आंखों में आंसू और गुस्सा दोनों आ जाते हैं. अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आपको ये मुद्दा कभी न कभी परेशान जरूर करता होगा. सीएसडीएस के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 में लगभग 3.8 प्रतिशत लोगों ने साफ पानी को चुनावी मुद्दा माना था.
Delhi Election: दिल्ली पुलिस ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए पिछले 15 दिनों में कुल 510 मामले दर्ज किए हैं. वहीं अब तक 16,731 लोगों की गिरफ्तारी की गई है.
Delhi Traffic Advisory: दिल्ली में फुल ड्रेस रिहर्सल और 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर परेड है. ऐसे में इन दोनों दिनों में घर से निकलने से पहले ट्रैफिक एडवाइजरी जरूर चेक कर लें. दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस ने इसे लेकर एडवाइजरी जारी की है.
इस बयान ने चुनावी रंग को और गहरा कर दिया है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता इस सियासी ड्रामे को कैसे लेती है. आखिरकार, जब राजनीति और धर्म की जोड़ी बनती है, तो चुनावी खेल का मिजाज ही बदल जाता है!
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि जब वह जेल में थे, तब उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने न सिर्फ घर, बल्कि पार्टी की बागडोर भी संभाली. केजरीवाल ने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी टूटने से बची, तो इसका 90% श्रेय सुनीता को जाता है, क्योंकि उस समय उन्हें राजनीति का कोई खास अनुभव नहीं था.
Dry-Day in Delhi: अब 5 फरवरी को होने वाले चुनाव को लेकर पूरे दिल्ली में 4 दिनों तक शराब के ठेके बंद रखने का दिल्ली सरकार ने आदेश दिया है.
16 जनवरी की रात सैफ अली खान के मुंबई स्थित घर में एक व्यक्ति घुस आया और चोरी करने की कोशिश करते हुए सैफ पर चाकू से हमला कर दिया. हमलावर ने सैफ को कई बार चाकू मारा, जिससे एक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए. इस हमले के बाद पुलिस जांच में यह सामने आया कि हमलावर एक बांग्लादेशी नागरिक है.
Delhi Election: भाजपा ने 'संकल्प पत्र पार्ट-2' को लॉन्च किया. इस दौरान सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, 'हम दिल्ली के सरकारी शिक्षा संस्थानों में जरूरतमंद छात्रों को KG से PG तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करेंगे.'
दिल्ली की सड़कों पर रोज़ाना लाखों ऑटो ड्राइवर्स, सिर्फ सवारी नहीं ढोते, बल्कि राजनीतिक दिशा भी तय करते हैं. ये ड्राइवर्स न सिर्फ सवारी से चुनावी मुद्दों पर गपशप करते हैं, बल्कि उनके द्वारा जुटाया गया फीडबैक सीधे नेताओं तक पहुंचता है. अगर ये ऑटो ड्राइवर्स किसी पार्टी का समर्थन कर दें, तो उस पार्टी की जीत की रफ्तार तेज हो जाती है.
दिल्ली के पूर्वांचलियों की दिलचस्पी इस बार कुछ अलग है. पहले लोग सिर्फ वादों पर भरोसा कर लिया करते थे, लेकिन अब उनकी सोच में बदलाव आया है. उनका कहना है कि अब सिर्फ वादे नहीं, बल्कि उम्मीदवार की नीयत और काम करने की क्षमता को देखेंगे.