“जनता कहे तो बनूंगा, नहीं तो नहीं”, CM की कुर्सी पर ये कौन सा दांव खेल रहे हैं केजरीवाल? AAP के मुखिया ने बताया पूरा प्लान
अरविंद केजरीवाल
Delhi Election 2025: दिल्ली की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है! दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में कुछ ऐसा कहा, जिसने सबको चौंका दिया. सवाल था – अगर दिल्ली चुनाव में आपकी पार्टी जीतती है, तो क्या आप फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे? और केजरीवाल ने जो जवाब दिया, वो हैरान करने वाला था.
“जनता कहे तो बनूंगा, नहीं तो नहीं”
केजरीवाल ने सीधे तौर पर कहा, “अगर दिल्ली की जनता मुझे फिर से मुख्यमंत्री के तौर पर चुनती है, तो मैं यह पद स्वीकार करूंगा. लेकिन अगर जनता मुझे बेईमान मानती है, तो मैं उस कुर्सी पर बैठने का सोचूंगा भी नहीं.” एक और दिलचस्प बात जो केजरीवाल ने साझा की, वह यह थी कि जब वह जेल से लौटे थे, तो उन्हें सीएम पद छोड़ने की कोई मजबूरी नहीं थी. उनका कहना था, “दिल्ली की जनता मेरे लिए ज्यादा अहम है. मुझे इस्तीफा देने की जरूरत नहीं थी, लेकिन मैंने यह कदम इसलिए उठाया ताकि मैं जनता की भलाई पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर सकूं.”
यहां केजरीवाल ने अपनी राजनीति को साफ किया. उनके लिए मुख्यमंत्री बनना नहीं, बल्कि जनता के बीच ईमानदारी से काम करना ज्यादा महत्वपूर्ण था. तो क्या यह बयान किसी राजनीतिक शतरंज के मास्टरस्ट्रोक से कम है?
बीजेपी की रणनीति पर केजरीवाल का तंज
केजरीवाल ने बीजेपी पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी की रणनीति यही है कि अगर आम आदमी पार्टी सरकार बनाएगी, तो मुख्यमंत्री के तौर पर उनका नाम नहीं लिया जाएगा. उन्होंने इसे बीजेपी का एक ‘प्रोपेगेंडा’ करार दिया. उन्होंने कहा कि सीएम पद से जुड़ी शर्तें केवल अस्थायी हैं, और इनका चुनावी परिणाम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
“कोई खास फर्क नहीं पड़ता“
जब उनसे मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ये शर्तें ज्यादा महत्व नहीं रखतीं. केजरीवाल ने कहा कि उनका उद्देश्य राजनीति में रहकर जनता की भलाई के लिए काम करना है, न कि व्यक्तिगत फायदे के लिए. केजरीवाल ने दिल्ली के भविष्य के लिए अपनी योजनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में मुफ्त बिजली, मोहल्ला क्लिनिक, स्कूलों में सुधार और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाएं भविष्य में भी चलती रहेंगी, भले ही बीजेपी या एलजी प्रशासन इन योजनाओं को रोकने की कोशिश करें.
केजरीवाल का कहना है कि उनकी सरकार ने जो सुधार किए हैं, जैसे स्कूलों का सुधार, अस्पतालों की स्थिति में सुधार, और स्वास्थ्य सेवाओं को मोहल्ला क्लिनिक के माध्यम से हर घर तक पहुंचाना, ये सब लगातार जारी रहेंगे.
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क्यों नहीं टूटी आम आदमी पार्टी?
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि जब वह जेल में थे, तब उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने न सिर्फ घर, बल्कि पार्टी की बागडोर भी संभाली. केजरीवाल ने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी टूटने से बची, तो इसका 90% श्रेय सुनीता को जाता है, क्योंकि उस समय उन्हें राजनीति का कोई खास अनुभव नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि जेल में रहते हुए जब सुनीता ने पार्टी को संभाला, तो वह खुद भी हैरान रह गए. “मेरी पत्नी ने मुझे सरप्राइज किया, उन्होंने वाकई गजब का काम किया.”
“कांग्रेस से गठबंधन नहीं, हमारी पार्टी वंशवाद के खिलाफ है”
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि कांग्रेस दिल्ली में जीरो रहेगी और एक भी सीट नहीं जीतेगी. केजरीवाल ने कांग्रेस की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा, “इलेक्शन कोई लॉटरी नहीं है.”
जब उनसे पूछा गया कि क्यों वह अपनी पत्नी को राजनीति में शामिल नहीं करते, तो केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी वंशवाद के खिलाफ है.
क्या कहता है केजरीवाल का यह बयान?
इस पूरे इंटरव्यू से एक बात साफ है—केजरीवाल अपनी सियासत को सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक मिशन मानते हैं. उनका उद्देश्य न केवल सत्ता में आना है, बल्कि वह जनता की सेवा में अपनी पूरी ताकत लगाना चाहते हैं. इस बयान से यह भी स्पष्ट हो गया कि उनका मुख्यमंत्री बनने का फैसला पूरी तरह से जनता पर निर्भर करेगा. अगर जनता उन्हें ईमानदार मानती है, तो वह राजनीति की कुर्सी पर बैठने को तैयार हैं, लेकिन अगर जनता ने उन्हें नकारा, तो वह अपना रास्ता बदलने में संकोच नहीं करेंगे.
हालांकि, बीजेपी ने केजरीवाल की खिंचाई कर दी है. वैसे एक बात तो साफ है कि केजरीवाल और उनकी टीम पर भष्टाचार के कई आरोप हैं, जिसे जनता के सामने रखने में बीजेपी नहीं चूक रही है. तो, क्या दिल्ली की जनता एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने का फैसला करेगी? यह सवाल अब और भी दिलचस्प हो गया है!