भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल अमेरिका में गिरफ्तार, CBI-ED की बड़ी कामयाबी

भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी
PNB Scam: भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) के भाई नेहल मोदी (Nehal Modi) को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है. इस गिरफ्तारी के पीछे भारत की दो बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी का हाथ है. नेहल मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप हैं. भारत सरकार के लिए यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.
कैसे हुई गिरफ्तारी?
भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) लगातार नेहल मोदी के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही थीं. उनकी अपील पर ही अमेरिकी न्याय विभाग ने कार्रवाई की और 4 जुलाई को नेहल मोदी को धर दबोचा. अब अमेरिका में उस पर दो मामलों में प्रत्यर्पण की कार्यवाही चल रही है.
नीरव मोदी खुद ब्रिटेन में प्रत्यर्पण का सामना कर रहा है, और अब उसका भाई नेहल भी कानून के शिकंजे में आ गया है. यह भारत सरकार और उसकी जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी जीत है, जो भगोड़े आर्थिक अपराधियों को देश वापस लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं. उम्मीद है कि जल्द ही नेहल मोदी को भारत लाया जाएगा और उसे उसके किए की सजा मिलेगी.
क्या है पूरा मामला?
आपको याद होगा, कुछ साल पहले पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में एक बहुत बड़ा घोटाला हुआ था. हजारों करोड़ रुपये का यह घोटाला देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक था, और इसके मुख्य आरोपी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी थे. इसी मामले में नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी भी वांछित था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, नेहल मोदी पर आरोप है कि उसने नीरव मोदी की आपराधिक कमाई को ठिकाने लगाने और उसे वैध दिखाने में मदद की थी. यानी, वह नीरव के काले धन को सफेद करने में अहम कड़ी था.
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नीरव ने कैसे किया घोटाला?
‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ (LoU) नामक बैंकिंग उपकरण का गलत इस्तेमाल करके नीरव ने हजारों करोड़ रुपये उड़ा डाले थे. आसान भाषा में समझें तो, LoU एक तरह की बैंक गारंटी होती है. जब कोई भारतीय व्यापारी विदेश से सामान आयात करना चाहता है और उसे विदेशी बैंक से कर्ज चाहिए होता है, तो भारतीय बैंक (इस मामले में PNB) उस व्यापारी के लिए LoU जारी करता है. यह LoU विदेशी बैंक को यह भरोसा दिलाता है कि अगर व्यापारी कर्ज नहीं चुका पाया, तो भारतीय बैंक उसकी भरपाई करेगा.
नीरव मोदी ने कुछ भ्रष्ट बैंक अधिकारियों (खासकर PNB की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच में) की मिलीभगत से इस प्रणाली का दुरुपयोग किया. बैंक अधिकारियों ने बिना किसी सही प्रक्रिया या पर्याप्त गारंटी के नीरव मोदी की कंपनियों के लिए फर्जी LoUs जारी करना शुरू कर दिया. ये LoUs सीधे विदेशी बैंकों को SWIFT (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) मैसेजिंग सिस्टम के जरिए भेजे जाते थे, लेकिन बैंक के मुख्य बैंकिंग सिस्टम (CBS) में इनकी एंट्री नहीं की जाती थी. इसका मतलब था कि PNB के उच्च अधिकारियों या ऑडिटर्स को इन फर्जी लेनदेन के बारे में पता ही नहीं चलता था.
विदेषी बैंकों से करोड़ों का कर्ज
इन फर्जी LoUs के आधार पर विदेशी बैंकों ने नीरव मोदी की कंपनियों को करोड़ों रुपये का कर्ज दे दिया. जब पुराने कर्ज चुकाने का समय आता, तो नीरव मोदी और उसके साथी एक नया, बड़ा फर्जी LoU बनवा लेते थे, जिससे पुराने कर्ज को चुकाया जाता और नया पैसा भी मिल जाता था. यह सिलसिला कई सालों तक चलता रहा, जिससे हजारों करोड़ रुपये का घोटाला हो गया. यह पूरा खेल 2011 से 2017 तक चला, और अंततः 2018 में तब सामने आया जब बैंक में एक नया अधिकारी आया और उसने नियमों के अनुसार गारंटी की मांग की, जिसे नीरव मोदी की कंपनियों ने देने से मना कर दिया.