TRAI का नया मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम लागू, मोबाइल यूजर्स पर क्या होगा असर? जानें सबकुछ

TRAI के इस नियम के तहत, अब टेलीकॉम कंपनियों को हर संदेश की पूरी चेन के बारे में जानकारी रखनी होगी. इसका मतलब है कि यदि कोई संदेश किसी यूजर के मोबाइल पर आता है, तो उस संदेश का पूरा ट्रैकिंग डेटा टेलीकॉम ऑपरेटर के पास होगा.
Message Traceability Rule

प्रतीकात्मक तस्वीर

Message Traceability Rule: दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने आज से अपने नए मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम को लागू कर दिया है. यह नियम भारत के 120 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर्स के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. इसके लागू होने का उद्देश्य उन फर्जी संदेशों को रोकना है, जो अक्सर यूजर्स को धोखा देने के लिए भेजे जाते हैं. आइए जानते हैं कि इस नए नियम का मोबाइल यूजर्स पर क्या असर पड़ेगा?

क्या है मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम?

इस नियम का मुख्य उद्देश्य मोबाइल पर आने वाले संदेशों (SMS) को ट्रैक करना और उनके भेजने वाले को पहचानना है. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी फर्जी या धोखाधड़ी वाले संदेश यूजर्स तक नहीं पहुंचे. अगर कोई हैकर या धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति किसी संदेश को भेजेगा, तो उसे नेटवर्क स्तर पर ही रोक दिया जाएगा. इसके परिणामस्वरूप, यूजर्स को गलत या धोखाधड़ी वाले संदेशों से बचाया जा सकेगा.

संदेशों की पूरी चेन को ट्रैक करना

TRAI के इस नियम के तहत, अब टेलीकॉम कंपनियों को हर संदेश की पूरी चेन के बारे में जानकारी रखनी होगी. इसका मतलब है कि यदि कोई संदेश किसी यूजर के मोबाइल पर आता है, तो उस संदेश का पूरा ट्रैकिंग डेटा टेलीकॉम ऑपरेटर के पास होगा. इसमें मैसेज के सेंडर से लेकर उसके सभी ट्रांजैक्शन की जानकारी शामिल होगी. इस नियम के लागू होने से यूजर्स के लिए स्पैम मैसेज से बचने में मदद मिलेगी और फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी.

ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने में मदद

भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में पिछले कुछ सालों में तेजी आई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन मामलों में 3,000 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है. ऐसे में TRAI का यह कदम ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए अहम है. यदि कोई बिना सत्यापित नंबर से या किसी अननोन सोर्स से मैसेज भेजता है, तो उसे ब्लॉक कर दिया जाएगा. इस तरह से यूजर्स के साथ फ्रॉड होने का खतरा कम होगा.

क्या OTP आने में होगी देरी?

हालांकि, TRAI ने यह स्पष्ट किया है कि इस नियम के लागू होने से OTP (वन-टाइम पासवर्ड) जैसे मैसेजों की डिलीवरी में कोई देरी नहीं होगी. पहले कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने चिंता जताई थी कि इस नियम के लागू होने से OTP जैसे महत्वपूर्ण संदेशों की डिलीवरी में देरी हो सकती है, लेकिन TRAI ने इसे मिसकम्युनिकेशन बताया और आश्वासन दिया कि OTP समय पर पहुंचेगा.

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मैसेज ट्रेसिबिलिटी पर निगरानी

इस नियम के प्रभावी होने के बाद, 95 प्रतिशत मैसेज बिना किसी देरी के यूजर्स तक पहुंच रहे हैं. केवल 5 प्रतिशत मैसेज पर इसका असर देखा जा सकता है, लेकिन TRAI के अनुसार, इन 5 प्रतिशत मैसेजों को भी कुछ ही समय में सही तरीके से डिलीवर किया जाएगा.

क्या होगा अगर मैसेज रजिस्टर्ड नहीं हैं?

TRAI के नए नियम के तहत, अगर कोई कंपनी या व्यक्ति रजिस्टर्ड नहीं है, तो उनके द्वारा भेजे गए संदेशों को ब्लॉक कर दिया जाएगा. यह सुनिश्चित करेगा कि केवल उन कंपनियों के संदेश ही यूजर्स तक पहुंचें, जो अधिकृत और सुरक्षित हैं. भारत में रोजाना लगभग 1.5 से 1.7 बिलियन कमर्शियल संदेश भेजे जाते हैं. इन संदेशों में से केवल वही संदेश यूजर्स तक पहुंचेंगे, जो रजिस्टर्ड कंपनियों द्वारा भेजे जाएंगे, जबकि अनरजिस्टर्ड कंपनियों के संदेश नेटवर्क स्तर पर ब्लॉक कर दिए जाएंगे.

नियमों का पालन और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया

अब तक 27,000 प्रिंसिपल एंटिटी (PE) ने अपने संदेशों की ट्रेसिबिलिटी चेन को रजिस्टर करवा लिया है. टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी है और इसे युद्ध स्तर पर बढ़ाया जा रहा है. TRAI के मुताबिक, इस नियम का पालन करने से यूजर्स को सुरक्षित संदेशों की डिलीवरी होगी, जो धोखाधड़ी से बचाएंगे.

TRAI का मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मोबाइल यूजर्स को स्पैम और धोखाधड़ी से बचाने के लिए उठाया गया है. इस नियम के लागू होने से जहां एक तरफ यूजर्स को धोखाधड़ी वाले संदेशों से सुरक्षा मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ यह टेलीकॉम कंपनियों को भी संदेशों के ट्रैकिंग और सत्यापन की पूरी जिम्मेदारी देगा.

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