होली मनाने के पीछे छिपा है वैज्ञानिक महत्व, क्या जानते हैं आप?

Holi 2025: क्या आप रंगों के त्योहार होली को मनाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण जानते हैं?
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होली

Holi 2025: होली को ‘रंगों का त्योहार’ कहा जाता है, जो भारत में पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर अपनी खुशियों का इजहार करते हैं. इसे वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक भी माना जाता है. होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सद्भावना और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का पर्व भी है. होली सिर्फ एक त्योहार या परंपरा ही नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण से लेकर आपकी सेहत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. होली मनाने का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है.

आइए जानते हैं होली पर्व के पीछे छुपे वैज्ञानिक महत्व के बारें में-

ऊर्जा का संचार और मानसिक लाभ

भारतीय परंपरा के जितने भी पर्व और त्योहार हैं, वे किसी-न-किसी पौराणिक कथा से जुड़े हुए हैं. लेकिन उन सभी का कोई-न कोई वैज्ञानिक पक्ष भी है. जैसे होली का त्योहार. इसमें रंग है, उमंग है और ढेर सारी मस्ती भी. इस मस्ती और उल्लास में सेहत की भी बात है. होली का त्योहार ऐसे समय पर आता है, जब मौसम में बदलाव के कारण लोग सुस्ती या थकान महसूस करते हैं. ठंड के बाद मौसम की गर्माहट की वजह से शरीर में सुस्ती आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. ऐसे समय में होली का आना, शरीर की सुस्ती को दूर करने का एक अच्छा माध्यम भी है रंगों की मस्ती और ढोल-नगाड़े के बीच जब लोग जोर से गाते हैं या बोलते हैं. ये सभी बातें शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करती हैं. इसके अलावा जब शुद्ध रंग और अबीर शरीर पर डाला जाता है, तो इसका उस पर अनोखा प्रभाव होता है.

रंगों का स्वास्थ्य लाभ

  • प्राकृतिक रंगों, जैसे कि हल्दी, के प्रयोग से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं.
  • ये रंग शरीर की त्वचा को उत्तेजित करते हैं और त्वचा के पोर्स में समा जाते हैं.
  • गुलाल और अबीर जैसी चीजें शरीर की आयरन की मात्रा को बढ़ाकर स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है.

होलिका दहन से जुड़ा वैज्ञानिक तथ्य

होली का त्योहार मनाने का एक वैज्ञानिक कारण होलिका दहन की परंपरा से भी जुड़ा है.ठंड की समाप्ति और बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि बढ़ जाती है.ऐ से में जब होलिका जलाई जाती है, तो परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं, तो होलिका से निकला ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है. जिसकी वजह से न सिर्फ पर्यावरण स्वच्छ होता है, बल्कि शरीर भी स्वस्थ होता है.

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वैज्ञानिक पक्ष को समझते हुए स्वच्छ होली मनाएं

इन दिनों लोग होलिका में लकड़ी के अलावा प्लास्टिक, टायर आदि भी जलाने लगे हैं. इससे पर्यावरण तो प्रभावित होता है और सेहत भी खराब होती है.ऐसे में जरूरत है स्वच्छ होली खेलने की जिसमें न कोई केमिकल हो और न ही किसी प्रकार का कोई हार्मफुल नशा. होली के वैज्ञानिक पक्ष को समझते हुए स्वच्छ होली मनाएं और स्वस्थ रहें.

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